From Punjab Istri Sabha

“ਔਰਤ ਦੇ ਸਨਮਾਨ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਇਸਤਰੀ ਸਭਾ ਮੈਦਾਨ ਵਿੱਚ”

ਪੰਜਾਬ ਇਸਤਰੀ ਸਭਾ ਨੇ ਨੈਸ਼ਨਲ ਫੈਡਰੇਸ਼ਨ ਆਫ ਇੰਡੀਅਨ ਵੋਮੈਨ ਦੇ ਸੱਦੇ ਤੇ 30 ਜਨਵਰੀ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ “ਔਰਤ ਦੇ ਸਨਮਾਨ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਇਸਤਰੀ ਸਭਾ ਮੈਦਾਨ ਵਿੱਚ” ਮੁਹਿੰਮ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਕੀਤੀ
       ਵਰਨਣ ਯੋਗ ਹੈ ਕਿ ਇਸ ਵੇਲੇ ਔਰਤ ਜਾਤੀ ਨੂੰ ਗੰਭੀਰ ਚੁਨੌਤੀਆਂ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪੈ ਰਿਹਾ ਹੈ ਔਰਤਾਂ ਦੀ ਛੇੜਛਾੜ, ਬਲਾਤਕਾਰ ਅਤੇ ਕਤਲ ਆਮ ਹੋ ਗਏ ਹਨ।

ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਔਰਤਾਂ ਦਾ ਬਲਾਤਕਾਰ ਹੋਇਆ ਅਤੇ ਕਈ ਕਤਲ ਵੀ ਹੋ ਗਈਆਂ।ਬੀ .ਜੇ .ਪੀ  ਸ਼ਾਸਤ ਰਾਜਾਂ ਵਿੱਚ ਇਹ ਵਰਤਾਰਾ ਆਮ ਹੈ।ਹਾਕਮ ਧਿਰ ਪੀੜਤਾਂ ਦੀ ਮਦਦ ਕਰਨ ਦੀ ਬਜਾਏ ਜਾਲਮ ਅਤੇ ਗੁੰਡਾ ਕਿਸਮ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਪਿੱਠ ਤੇ ਖੜੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਜਿਸ ਤੋਂ ਸਮਝ ਲੱਗਦੀ ਹੈ ਕਿ ਇਸ ਕਿਸਮ ਦੇ ਗੁੰਡਿਆਂ ਨੂੰ ਸਰਕਾਰੀ ਪੁਸ਼ਤ ਪਨਾਹੀ ਹਾਸਲ ਹੈ ਬਿਲਕੀਸ ਬਾਨੋ ਕੇਸ ਵਿੱਚ ਦੋਸ਼ੀਆਂ ਨੂੰ ਛੱਡ ਦੇਣਾ ਅਤੇ ਜੇਲ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਆਉਣ ਤੇ ਉਹਨਾਂ ਦਾ ਸ਼ਾਨਦਾਰ ਸਵਾਗਤ ਕਰਨਾ ਗੁੰਡਾਗਰਦੀ ਨੂੰ ਸ਼ਹਿ ਦਿੰਦਾ ਹੈ।

ਔਰਤ ਦੀ  ਹੋ ਰਹੀ ਬੇਕਦਰੀ ਨੂੰ ਵੇਖ ਕੇ ਨੈਸ਼ਨਲ ਫੈਡਰੇਸ਼ਨ ਆਫ ਇੰਡੀਅਨ ਵੋਮੈਨ ਨੇ ਫੈਸਲਾ ਕੀਤਾ ਹੈ ਕਿ ਸਾਰੇ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ 30 ਜਨਵਰੀ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 15 ਫਰਵਰੀ ਤੱਕ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਢੰਗਾਂ ਨਾਲ ਇਸ ਵਿਸ਼ੇ ਤੇ ਐਕਸ਼ਨ ਕੀਤੇ ਜਾਣਗੇ ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਨਾਲ ਆਪਣੇ ਲੋਕਲ ਮੁੱਦੇ ਵੀ ਜੋੜ ਲਏ ਜਾਣਗੇ।
    ਪੰਜਾਬ ਇਸਤਰੀ ਸਭਾ ਨੇ ਇਸ ਮੁਹਿੰਮ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ 30 ਜਨਵਰੀ ਨੂੰ ਦੋ ਜਿਲਿਆਂ ਵਿੱਚ ਵੱਡੇ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਕਰਵਾ ਕੇ ਕੀਤੀ ਫਰੀਦ ਕੋਟ ਵਿੱਚ ਜਿਲਾ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮਨਜੀਤ ਕੌਰ ਨੇ ਆਪਣੀਆਂ ਸਾਥਣਾਂ ਨਾਲ ਰਲ ਕੇ ਇੱਕ ਵੱਡਾ ਇਕੱਠ ਕੀਤਾ ਜਿਸ ਨੂੰ ਸੰਬੋਧਨ ਕਰਨ ਵਾਸਤੇ ਨਰਿੰਦਰ ਸੋਹਲ ਸੂਬਾ ਜਨਰਲ ਸਕੱਤਰ ਪਹੁੰਚੇ। ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਸੀਪੀਆਈ ਆਗੂ ਅਸ਼ੋਕ ਕੁਮਾਰ ਕੌਸ਼ਲ ਜੀ ਨੇ ਵੀ ਸੰਬੋਧਨ ਕੀਤਾ। ਨਰੇਗਾ ਵਰਕਰ ਇਸ ਰੈਲੀ ਵਿੱਚ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਪਹੁੰਚੇ ।ਇਸੇ ਕਰਕੇ ਪੰਜਾਬ ਇਸਤਰੀ ਸਭਾ ਨੇ ਨਰੇਗਾ ਵਰਕਰ ਵਾਸਤੇ 700 ਰੁਪਏ ਦਿਹਾੜੀ ਅਤੇ 200 ਦਿਨ ਕੰਮ ਦੀ ਮੰਗ ਦੀ ਹਮਾਇਤ  ਕੀਤੀ।

ਤਰਨ ਤਾਰਨ ਜਿਲੇ ਦੀ ਪੰਜਾਬ ਇਸਤਰੀ ਸਭਾ ਨੇ 30 ਜਨਵਰੀ ਨੂੰ ਵਲਟੋਹਾ ਬੁਲਾਕ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਸ਼ਾਨਦਾਰ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਕੀਤਾ, ਜਿਸ ਦੀ ਤਿਆਰੀ ਸੂਬਾ ਵਿੱਤ ਸਕੱਤਰ ਕਿਰਨਬੀਰ ਵਲਟੋਹਾ ਨੇ ਕੀਤੀ। ਸੂਬਾ ਪ੍ਰਧਾਨ ਰਜਿੰਦਰ ਪਾਲ ਕੌ,ਰ ਜਿਲਾ ਪ੍ਰਧਾਨ ਸੀਮਾ ਸੋਹਲ ,ਜਿਲਾ ਜਨਰਲ ਸਕੱਤਰ ਰੂਪਿੰਦਰ ਮਾੜੀ ਮੇਘਾ ਅਤੇ ਸੂਬਾ ਸਰਪਰਸਤ ਨਰਿੰਦਰ ਪਾਲ ਪਾਲੀ ਸਮੇਤ ਇਕ ਵੱਡਾ ਕਾਫਲਾ ਗੱਡੀਆਂ ਦਾ ਲੈ ਕੇ ਜਿੰਨਾ ਉੱਤੇ ਆਪਣੀਆਂ ਮੰਗਾਂ ਸਬੰਧੀ ਪੋਸਟਰ ਲਗਾਏ ਹੋਏ ਸਨ ਅਤੇ ਸਪੀਕਰ ਰਾਹੀਂ ਸੰਦੇਸ਼ ਦਿੰਦਾ ਹੋਇਆ ਵੱਖ ਵੱਖ ਬਲਾਕਾਂ ਚੋਂ ਲੰਘ ਕੇ ਵਲਟੋਹਾ ਵਿਖੇ ਪਹੁੰਚਿਆ। ਜਿੱਥੇ ਇਹਨਾਂ ਸਾਰੇ ਆਗੂਆਂ ਨੇ ਸੰਬੋਧਨ ਕਰਕੇ ਸਰਕਾਰ ਦੀਆਂ ਨਾਕਾਮੀਆਂ ਦਾ ਅਤੇ ਆਪਣੀਆਂ ਮੰਗਾਂ ਦਾ ਵਰਨਣ ਕੀਤਾ ਪੰਜਾਬ ਇਸਤਰੀ ਸਭਾ ਨੇ ਰੁਜ਼ਗਾਰ, ਮੁਫਤ ਅਤੇ ਲਾਜ਼ਮੀ ਸਿੱਖਿਆ  ਸਿਹਤ ਸਹੂਲਤਾਂ ਆਦਿ ਨੂੰ ਵੀ ਆਪਣੀਆਂ ਮੰਗਾਂ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਿਲ ਕੀਤਾ ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਫਿਰਕਾ ਪ੍ਰਸਤ ਤਾਕਤਾਂ ਤੋਂ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਜਾਗਰੂਕ ਕੀਤਾ ਇਹ ਮੁਹਿੰਮ 15 ਫਰਵਰੀ ਤੱਕ ਜਾਰੀ ਰੱਖੀ ਜਾਏਗੀ ਅਤੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਜਿਲਿਆਂ ਵਿੱਚ ਰੈਲੀਆਂ ਕਰਵਾ ਕੇ ਲੋਕਾਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚ ਕੀਤੀ ਜਾਵੇਗੀ।
ਰਜਿੰਦਰ ਪਾਲ ਕੌਰ

युद्ध में मारे गए बच्चों के नाम/ Dedicated to Children (of Palestine) who died as a consequence of war

हमारी बिहार की साथी निवेदिता जी ने उन् फिलिस्तीनी बच्चों के नाम यह कविता लिखी है जिनकी मासूम जाने एक युद्ध ने ली हैं, वो लड़ाई जिसकी कीमत इन् बच्चों की जान से चुकाई जा रही है।

उन तमाम दृश्यों को मैं भूलना चाहती हूं
भूलना चाहती हूं बम के धमाके और खून में पड़े बच्चों की लाश
मिट्टी के मलवे में धंसी मां को पुकारे जाने की आवाज
बच्चों की कांपती देह
हर दृश्य मेरे भीतर खौफ पैदा करता है
सोचती हूं कहीं अगर ये मेरा देश होता!
अगर ये मेरे बच्चे होते!
अगर ये मेरे लोग होते!
जानती हूं ये देश मेरा नहीं है
ये बच्चे मेरे नहीं हैं
सिर्फ ये कह देने से क्या हम मुक्त हो सकते हैं?
दुनिया के प्रधानमंत्री अपना- अपना पक्ष रखते हैं
बेशर्मी और निर्ममता से कहते हैं कि अस्पतालों पर हुए हमले के लिए हम जिम्मेदार नहीं
मुझे घिन आती है उनके बयान से
मुझे घिन आती है ऐसे प्रधानमंत्री के चेहरे से
जो समझते हैं
देश उनके पांव के नीचे हैं
वे जब चाहें उसे मसल सकते हैं
मलवे की ढेर में सोये बच्चे नींद में अपना बिस्तर तलाशते हैं
अपना घर
वे खिलौने जो पिता ने दिए थे
इस बर्बाद देश में
कौन किसे राहत दें
हवा कब्र को सहलाती है
नन्हें बच्चों के कब्र की मिट्टी खून से लाल है
मुझे माफ करना बच्चों
मेरी कविता तुम्हें बचा नहीं सकती
मुझ में कोई बाज़ीगरी नहीं है शब्दों की
ये दुख है मेरा
मैं जानती हूं
मेरी कविता लाचार और शक्तिहीन है
तुम कहोगे वो कविता क्या
जो बचाती नहीं देश को लोगों को
हां मुझे दुख है मेरी कविता
कोई आवाज नहीं देती
वो भी पड़ी है मेरे सिरहाने
खून से लथ- पथ

Written by our state leader from Bihar, this poem is dedicated to the children of Palestine who are paying the price of a war imposed on them. (Translation)

I want to forget all those visuals
I want to forget all the deafening bombs and blood soaked bodies of children
the sounds of mothers calling out from under the rubble
the children shivering with fright
Every sight instills a new fear in me
and i wonder, what if it was my country!!
if these were my children!
if these were my people!

I know this is not my country
these are not my children
But can we detach ourselves by by saying thus..

Prime Ministers (Leaders of the world) put forward their views
to shamelessly and unfeelingly declare that they are not responsible for the attack on hospitals
I am repulsed by their statement
I am repulsed by the face of a Prime Minister
who thinks that
they can trample over the country
they can squash it whenever they like

Children look for their beds under the rubble
they look for their homes
the toys their father gave them

In this ruin of a state
who can provide succor and to whom

The winds caress graves
…graves of little children are soaked red with blood

Forgive me children
my poem can not save you
I cannot create magic with my words
This is my sorrow
I know
That my poem is helpless and powerless
You may ask what is the use of a poem
That does not save people of the country

Yes, i am sad that my poem
does not make a call
it too lies by my bedside
dripping with blood

From the States: Bihar

बिहार NFIW के हमारी नेत्री निवेदिता झा की कविता।

एक दिन

तुम्हारे गीत मेरे कानों में गूंज रहे हैं मैथ्यू पॉल मिलर
उन तीन हजार लोगों के गाने की कतार में मैं भी शामिल हूं
“वन डे”
एक दिन जब हम युद्ध की दुनिया से बाहर होंगे
हां एक दिन जब हमारे बच्चे लहू से भीगे नहीं होंगे
एक दिन जब फिलिस्तीन को उनका मुल्क मिल जायेगा
एक दिन जब इजरायल और फिलिस्तीन दोस्त होंगे
ये सोचना कितना सुंदर है
मैथ्यू पॉल मिलर
पर मैं बच्चों की डरी आंखें देख रही हूं
बम और धमाके के बीच शहर और लोगों को उजड़ते देख रही हूं
इतनी दूर हूं उनसे
पर युद्ध जैसे मेरे भीतर है
तमाम चीखें और
उजड़ते लोगों के दृश्य
के साथ मैं कैसे रह सकती हूं
मुझे प्रिय कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कविता याद आ रही है
“यदि तुम्हारे घर के
एक कमरे में आग लगी हो
तो क्या तुम
दूसरे कमरे में सो सकते हो?
यदि तुम्हारे घर के एक कमरे में
लाशें सड़ रहीं हों
तो क्या तुम
दूसरे कमरे में प्रार्थना कर सकते हो?
यदि हाँ
तो मुझे तुम से
कुछ नहीं कहना है
मैं बार- बार दुहराना चाहती हूं अपने प्रिय कवि की कविता
मैं तुम्हारे गीत पर यकीन करना चाहती हूं
पर मेरे भीतर सबकुछ उबल रहा है
मैं जानती हूं
युद्ध कोई एक देश नहीं लड़ता
युद्ध राजनीति है
भयानक राष्ट्रवादी अभियान है
देश के झंडे में लिपटा हुआ बच्चों का शव है
दुनिया में किसी युद्ध से अबतक किसी मसले का हल नहीं निकाला
युद्ध से हिंसा, रक्त आंसू और घृणा का ही संचार हुआ
मेरे दोस्त
चांद के चेहरे पर धब्बा बड़ा हो गया है
बच्चों की लाश मां के हाथों में पड़ी है
मलवा, खून और जिंदा लाशें
क्या हम ऐसी ही दुनिया चाहते हैं?
आंखें क्या सिर्फ देखने के लिए है?
नज़्म क्या सिर्फ गाने के लिए है?
शांति की बात कहना सिर्फ भुलावा है?
अगर ये सच है तो आओ
हम अपने गीतों की धार तेज करें
आओ हम नगमें गाएं
आओ सब कहें कि
एक दिन
हम शांति और आजादी के साथ जी सकेंगे
मैथ्यू पॉल मिलर
तुम्हारी आवाज गूंज रही है
उन बच्चों तक पहुंच रही है
जिनकी आंखें आतंक और हिंसा की गवाह है
एक दिन इन बच्चों की आंखों में होगी हंसी
एक दिन
मुहब्बत दुनिया को बदल देगी

निवेदिता

From the States: Madhya Pradesh

भारतीय महिला फेडरेशन, इप्टा और प्रलेस (मध्य प्रदेश) की वरिष्ठ साथी रामदुलारी शर्मा जी की कविता

गिराओ

वे नहीं चाहते
किसी का कद बढ़े उनके कद से ऊपर
वो डरते हैं
बढ़ते हुए कदो से
क्योंकि यह कद
भविष्य में उनके लिए
बन सकते हैं
बहुत बड़ी चुनौती

वह रचते हैं षड्यंत्रकारी जाल
बड़ते हुए कदो को धराशाही करने के लिए
और सोचते हैं कि
यदि जड़ से मिटाना है किसी के अस्तित्व को
तो उसे नीचे गिराओ
वह उठने की कोशिश करे
उससे पहले ही
रचो कोई नई साजिश
और फिर से गिराओ

उठते-बैठते, जागते-सोते
खोजो गिराने के नए तरीके
नई-नई चालों में फंसाकर गिराओ
पूरी दमखम के साथ गिराओ
बार बार गिराओ
हर स्तर पर गिराओ
इतना गिराओ
कि गिरना ही उसकी नियति बन जाएं

लेकिन याद रखना!
वह जितनी बार गिरकर उठेगा
जीवन के सच्चे अनुभव और
नई ताकत के साथ उठेगा
तुम्हारी बर्बरता की ढाल को
सचाई की धार से काटते हुए उठेगा
लेकिन
तुम किसी को गिराने में
कहीं इतने नीचे मत गिर जाना
फिर कभी उठने का अवसर ही न मिले

           - रामदुलारी शर्मा

Remembering our leaders

इला मित्र

तेभागा किसान आंदोलन( 1944-48) की किंवदंती महान कम्युनिस्ट नेत्री इला मित्र की 14/10 को पुण्यतिथि थी।

इला मित्र अपने छात्रावस्था में एक प्रसिद्ध खिलाड़ी थीं।पूर्वी बंगाल के एक संपन्न परिवार में जन्म लेने और एक जमींदार परिवार में शादी होने के बावजूद उच्च शिक्षित इला मित्र अविभाजित कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में द्वितीय विश्व युद्ध के दरम्यान भारत के किसान आंदोलन में मिल के पत्थर ” तेभागा किसान विद्रोह” में सक्रिय रूप से जुड़ गई।

तेभागा आंदोलन में इला मित्र और मनीकुंतला सेन की नेतृत्वकारी भूमिका के कारण बड़े पैमाने पर किसान महिलाओं की भागीदारी संभव हो पाई। तेभागा आंदोलन में महिलाओं के अविस्मरणीय योगदान को हम महान साहित्यकार माणिक बंदोपाध्याय की कहानियों ” छोटो बोकुलपुरेर जात्री” और” हारानेर नात जमाई ” के माध्यम से जन सकते हैं।बंगाल सहित देश के कोने कोने में उनका नाम तब फैल गया जब उनकी गिरफ्तारी के बाद पुलिस थाने में और जेल में उनके ऊपर हुए निर्मम यातनाओं का उन्होंने अदालत में खुल कर वर्णन किया।बंगाल के प्रसिद्ध कवि गुलाम कुद्दुस ने ” इला मित्र” नामक एक मशहूर कविता में इला मित्र को स्टालिन की बेटी,जूलियस फुचिक की बहन कहकर उल्लेख किया है। देश,मेहनतकशों और उत्पीड़ित जनता की मुक्ति की लड़ाई का जब भी जिक्र होगा महामानवी कॉमरेड इला मित्र के योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।उनको ढेरों क्रांतिकारी सलाम

Letter to PM

NATIONAL FEDERATION OF INDIAN WOMEN (NFIW)

1002- Ansal Bhawan, 16-K.G. Marg, New Delhi-1

                                                                                                      29-03-2023

Shri.  NARENDRA MODI

Hon’ble Prime Minister

Union of India

 Respected Prime Minister,

Sub: IMMEDIATE INTERVENTION & ACTION AGAINST K. SURENDRAN, Kerala State President of BJP.

We, the National Federation of Indian Women (NFIW) are writing this to bring to your noticea serious issue of insulting women by the Kerala State President of BJP K. Surendran.

On Sunday 26th March 2023, a convention was held in Thrissur, Kerala, with the purpose of constituting a Reception Committee for the STHREE SHAKTI SAMMELAN as part of G20 SUMMIT.  Mr. Surendran inaugurated this convention

While addressing the gathering, Mr. Surendran said “women leaders of the Communist Party have become fat by looting money” and “after becoming fat like Poothana, they are insulting the women of Kerala.”

NFIW views these comments which are sexually coloured, aimed at body shaming and insulting the modesty of women,  as an attack not only on those who belong to any particular political party, but the entire  country. We deplore Mr Surendran’s anti-women comments.

 We have no doubt that Mr Surendran’s words will  tarnish the image and prestige of our country which is going to host the G20 Summit in a few months from now.

You being the Hon’ble Prime Minister of India and the current chair of the G-20, we request you to urgently initiate appropriate action against Mr. Surendran.

Yours Sincerely

      Aruna Roy                                            Annie Raja

Arunaroy@gmail.com                         anniedraja@gmail.com