मध्य प्रदेश में भारतीय महिला फेडरेशन

संभवतः 1973 की बात है , देश में मंहगाई बढ़ रही थी और कालाबाजा़री के चलते व्यापारियों ने बाज़ार से ज़रूरत की वस्तुएं गायब कर दी थी꫰ ऐसे वक्त में मध्यप्रदेश की दो जुझारू, जाँबाज़ नेत्रियों ने कुछ लोगों के साथ मिल कर भोपाल के पुल पुख्ता इलाके से निकलने वाले अनाज से भरे ट्रक पकड़ लिये और जरूरतमंद लोगों को उचित दाम पर बिकवाया ꫰ साथ ही पुराने भोपाल के जुमेराती और मंगलवारा इलाके में गोदामों पर छापे मारे ꫰ फलस्वरूप इन सबकी गिरफ्तारी हुई और 15 दिन की सजा़ भी ꫰
पढ़ कर आपको रोमांच पैदा हो रहा है ना, तो यकीनन आप यह जानकर गौरवान्वित भी होंगे कि इन्हीं दोनों महिलाओं ने मध्यप्रदेश महिला संगठन का गठन किया और चूंकि दोनों के उद्देश्य समान थे तो बाद में यह भारतीय महिला फेडरेशन से सम्बद्ध हुआ ꫰
ये दोनों नेत्रियां थीं सुश्री मोहिनी श्रीवास्तव जिन्हें सब मोहिनी देवी या मोहन बाई के नाम से बुलाते थे और बेगम अख्तर जहाँ जिन्हें प्यार से छोटे बड़े सभी अख्तर आपा कहते थे ꫰ यह मेरी खुशकिस्मती है या कहूं कि दुनिया मुझ पर रश्क करेगी क्योंकि मैं इन दोनों की उंगली पकड़कर चली हूँ और इनकी गोद में खेली हूँ ꫰
1976 से पहले मध्यप्रदेश के अलग अलग जिलों में विभिन्न महिला कमेटियां थीं जो प्रगतिशील विचारों के साथ काम कर रही थीं ꫰ मोहिनी देवी और अख्तर आपा की पहल पर इन कमेटियों को एकजुट करने के उद्देश्य से जून 1976 में मध्यप्रदेश महिला संगठन बना ꫰ जिसका पहला प्रान्तीय सम्मेलन 12-13 जून 1976 को भारतीय महिला फेडरेशन की नेत्री सुश्री प्रमिला लूंबा यानी पिम्मी दीदी के मुख्य आतिथ्य में भोपाल में सम्पन्न हुआ ꫰ सम्मेलन में डाॅक्टर प्रतिभा रमन को अध्यक्ष और सुश्री मोहिनी देवी को महासचिव निर्वाचित किया गया ꫰ कार्यकारिणी में श्रीमति पेरिन दाजी, डाॅ सुशीला माइणकर, अख्तर आपा, डाॅ नुसरत बानो रूही, मुमताज जहाँ, प्रो शकुन्तला प्रधान , जयश्री केतकर, कृष्णा वर्मा आदि को शामिल किया गया ꫰ इन महिला नेत्रियों ने महिलाओं की स्थिति बेहतर बनाने, उनमें जागरूकता पैदा करने के लिए खूब काम किया ꫰ जगह जगह महिला सिलाई केन्द्र और इसी तरह के अन्य केन्द्र खोले गये ꫰ यहाँ महिलाएं अलग अलग हुनर सीखने के साथ ही समय समय पर होने वाली चर्चाओं में हिस्सा लेतीं और आंदोलन में भी शामिल होतीं ꫰
इस तरह धीरे धीरे महिला संगठन मजबूत होता गया ꫰ संगठन का दूसरा प्रान्तीय सम्मेलन चार साल बाद 1980 में और तीसरा सम्मेलन 1983 में विमला फा़रुकी जी के मुख्य आतिथ्य में हुआ जिसमें मोहिनी देवी को दूसरी और तीसरी बार भी महासचिव चुना गया ꫰ 1986 में मोहिनी देवी के निधन के बाद महिला संगठन के काम की गति काफ़ी धीमी हो गई ꫰ 1987 में चौथा राज्य सम्मेलन सुश्री तारा रेड्डी जी के मुख्य आतिथ्य में हुआ जिसमें जयश्री केतकर जी को महासचिव चुना गया ꫰लेकिन उनका भी निधन हो जाने से महिला संगठन को काफ़ी नुकसान हुआ ꫰ कुछ समय पश्चात एक राज्य स्तरीय
सम्मेलन भोपाल में किया गया जिसमें अख्तर आपा को अध्यक्ष, डाॅ नुसरत बानो रूही जी को उपाध्यक्ष और सुश्री रछपाल कौर को महासचिव चुना गया ꫰ सम्मेलन की मुख्य अतिथि तारा रेड्डी जी थीं ꫰ यहीं म प्र महिला संगठन का नाम बदल कर भारतीय महिला फेडरेशन किया गया ꫰ कुछ समय काम बहुत अच्छा चला लेकिन रछपाल जी के दिल्ली वापस चले जाने के बाद गति एक बार पुनः धीमी हो गई ꫰ हालांकि कई जिलों में सम्मेलन हुए और कमेटियों का गठन भी हुआ ꫰
2002 में शहडोल में सुश्री सेहबा फारुकी जी की उपस्थिति में एक क्षेत्रीय सम्मेलन कर रूही जी को अध्यक्ष और गीता शर्मा जी को महासचिव चुना गया लेकिन विभिन्न कारणों स फेडरेशन वो गति नही पकड़ पाया जो पूर्व में थी ꫰
तत्पश्चात 11अक्टूबर 2004 को मुझे भारतीय महिला फेडरेशन म प्र की राज्य महासचिव चुना गया ꫰ हालांकि उस समय मैं इस पद के लिए तैयार नहीं थी ꫰ मैं एक महाविद्यालय में सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्यरत थी ꫰ फेडरेशन की राष्ट्रीय महासचिव सेहबा फारुकी जी और कुछ अन्य व्यक्तियों द्वारा मुझे प्रेरित कर इसके लिए तैयार किया गया और मैं अपनी नौकरी से त्यागपत्र देकर आ गई ꫰ मुझमे फेडरेशन के कार्यों के प्रति पूर्णतः समर्पण था लेकिन यह कहने में मुझे तनिक भी संकोच नहीं है कि मै महासचिव पद की जिम्मदारियों से अनभिज्ञ थी और हमेशा सीखने को तैयार रहती ꫰ जिसका लाभ मुझे यह मिला कि डाॅक्टर नुसरत बानो रूही जी और मध्यप्रदेश महिला संगठन में लगभग 40 वर्षों तक अपनी सेवाएं देने वाली वरिष्ठ साथी सुश्री मुमताज़ जहाँ जी से मुझे पद की जिम्मेदारियां ठीक से निभाने का तरीका सीखने को मिला वहीं जीवन के दूसरे तमाम सबक भी मिले ꫰ इन दोनों कुशल गुरुओं के मार्गदर्शन का असर यह हुआ कि कुछ ही महीनों में तमाम रुकावटों के बावजूद म प्र में फेडरेशन की एक सशक्त पहचान पुनः बनने लगी ꫰ लेकिन दो वर्ष होते होते 2006 में कुछ कारणों से मैंने त्यागपत्र दे दिया ꫰
उसके बाद म प्र में एक बार फिर फेडरेशन की गतिविधियां लगभग रुक सी गई ꫰ हालांकि तत्काल ही सुश्री रज़िया तैयब को महासचिव बनाया गया था ꫰ कुछ समय पश्चात गुना की हमारी बहन रिखी शर्मा को महासचिव बनाया गया किन्तु राजधानी भोपाल से दूरी और अन्य कारणों से चाहते हुए भी वे गतिविधियों को सुचारू रूप से नहीं चला सकीं ꫰ वर्तमान में भारतीय महिला फेडरेशन की महासचिव संघर्षशील, समर्पित साथी सारिका श्रीवास्तव हैं किन्तु वे भी राजधानी में ना होने की वजह से तमाम परेशानियों से जूझती हैं और बेहद अफसोस होता है कि जिस भारतीय महिला फेडरेशन म प्र की जननी इतनी सशक्त थीं उस फेडरेशन को कई बार इसी शहर में अपनी पहचान से भी जूझना पड़ रहा है जबकि आज फेडरेशन के आंदोलनों की बेहद ज़रूरत है ꫰
फिर भी मुझे यकीन है कि आने वाले समय में एक बार फिर भारतीय महिला फेडरेशन मध्यप्रदेश में महिला आंदोलन की अगुआई करेगा
आमीन

कुमुद सिंह

Published by NFIW

National Federation of Indian Women was established in 1954 by several leaders from Mahila Atma Raksha Samiti including Aruna Asaf Ali.

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